पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१६१

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नीचे गीला कपड़ा रख लेना चाहिये जिससे टूटने का बिल्कुल डर न रहे। १२-अगर राख को छान कर तारपीन के तेल में मिला लिया जाय तो वह पालिश लोहे तथा पीतल की चीजों को खूब साफ कर देती है। १३--सब्जी पकाते समय उसमें एक चम्मच चीनी डाल दी जाय तो उसका रंग हरा ही बना रहेगा, तथा स्वाद भी अधिक बढ़ जायगा। १४- यदि पानी में डाली हुई शहद की बूंद ज्यों की त्यों बनी रहे, तब तो असली, अन्यथा बनावटी समझना चाहिये। १५-दूध की परीक्षा यह है कि एक शीशी में असली दूध, दूसरी में नकली दूध डाल कर तोल लेना चाहिये, जो हलका होगा वही नकली समझना चाहिये। १६--सोने के गहनों पर नाइट्रिक एसिड (Nitric Acid) की दो बूंदें डाले, यदि डालते ही सफेद रंग पड़ जाय तो सोने में मिलावट समझनी चाहिये। १७-अगर सफेद कागज पर डाली हुई इत्र की बूदें आग पर सेकने से उड जाए तब तो असली, अन्यथा नकली समझना चाहिये। अध्याय नववाँ सुई, कसीदा और चित्रकारी सुई और कसीदे का काम ६ प्रकार का होता है । १-साधारण जैसे अंगरखा, कुर्ता, दुपट्टा, चोली, दामन, बटुश्रा, आदि सीना । २-जाली पर कढ़ाई करना, ३-रेशमी डोरे और कलावत्त का काम करना, सुजनी आदि बनाना, ५-सलमे सितारे का काम, ६-कटाव का काम । डोरे और सिलाई से मोजे, गुलबन्द बुनना, फीता, बेल, बटुए की