पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२५३ 1 के रहस्यों को समझे और कुछ अभ्यास कर लें तो भली भाँति अपने घरों को सजा सकती हैं । विलायत में चित्र विद्या की बडी कद्र है वहाँ एक एक चित्र दो दो लाख रु० को बिकता है । भारत में भी भारी भारी चित्रकार हो गये हैं, और अब भी हैं। उनके चित्रों का भी बहुत मूल्य है। चित्रकारी सीखने से प्रथम साधारण ड्राइंग का अभ्यास करना चाहिए । इसके लिये स्कूल की अभ्यास की कापियाँ ठीक होंगी। धीरे धीरे जब श्रभ्यास बढ़ जाय और सीधी लकीरें बनने लगें तब अन्य चित्रों की नकल करना शुरू करो। किसी भी चित्र की नकल करने की सुगम रीति यह है कि उस चित्र पर छोटे छोटे चोकोर खाने खींचो। और फिर जिस कागज पर दूसरा चित्र बनाना है उस पर जितना गुना बड़ा बनाना हो उतने गुना बढ़े खाने खोंचो । फिर प्रत्येक खाने में नम्बर डालो । अब धीरे धीरे एक एक खाने की लकीर बनाए चली जायो । धीरे धीरे चित्र अच्छा बनने लगेगा। अभ्यास होने पर बिना खाने भी बना सकोगी । रंग भरना दूसरी कला है । ये रंग और ब्रश बाजार में बिकते हैं । इस विद्या को किसी उस्ताद से सीखना चाहिए। फोटोग्राफी भी सुन्दर कला है - इसके केमरे घटिया बढ़िया सर्वत्र मिलते हैं, और उनसे चित्र उतारना भी आसान है। एक महीने में फोटो- ग्राफी मजे में सीखी जा सकती है। अध्याय दसवां कन्या-गीत प्रभाती भोर भयो पक्षीगण बोले, उठकर प्रभु गुण गाोरी ॥ टेक ।।