पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१६७

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राग झिंझोटी (गजल) ऐ मातृभूमि तेरे चरणों में सिर नवाऊं। मैं भक्ति भेट अपनी, तेरी शरण में लाऊं ॥ माथे पे तू हो चन्दन, छाती पे तू हो माला । जिव्हा पे गीत त हो, मैं तेरा नाम गाऊं ॥ जिससे सपूत उपजे श्री राम कृष्ण जैसे । उस तेरी धूलि को मैं निज सीस पर चढ़ाऊ ।। सेवा में तेरी सारे दुःखों को भूल जाऊं। वह पुण्य नाम तेरा प्रतिदिन सुन सुनाऊं ॥ तेरे ही काम श्राऊ तेरा ही प्रेम गाऊ। मन और देह तुझ पर बलिदान कर चढ़ाऊ॥ अध्याय ग्यारहवां व्यायाम कन्याओं को व्यायाम भी करना चाहिए, इस बात पर पुराने लोग हंसी उड़ा सकते हैं । पर वास्तव में प्रत्येक कन्या शक्ति का अवतार है। और उसे पूर्ण वीरांगना बनाना चाहिए । अब स्त्रियों की रक्षा का ढोंग करके पुरुष उनके शरीर और आत्मा के स्वामी बने नहीं रह सकेगें। अब आगे आने वाली पीढ़ी में स्त्रियां स्वयं अपनी रक्षा करेंगी और उनमें वीरता, दर्प और तेज रहेगा। व्यायाम करने से कन्याओं का जिस्म लचीला, सुगठित, सहिष्णु श्री सुन्दर बनेगा । चक्की पीसना, पानी खींचना, दौड़ना, मूसल चलाना, दही बिलोना भी कसरत है, पर हम नीचे उनके लिए डम्बल की कसरतें लिखते हैं । जो उनके लिए अति उपयोगी सिद्ध होंगी।