पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१६८

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डम्बल की कसरतें २ कन्याओं को इम्बल की कसरतें करने के लिए ४ प ड के स्प्रिंगदार डम्बल लेने चाहिए । अभ्यास इस प्रकार करना चाहिए- १-सीधी खड़ी रहो । दोनों एड़ियां मिली रहें, पर पैर के अंगूठों में ६-७ इन्च का अन्तर रहे । शरीर तना रहे । दोनों कुहनी बगल से लगायो । डम्बल को खड़े पकड़ कर कुहनियां सीध में सामने की श्रोर रखो और 'टुम्बल को 'डमरू की भांति हिलायो। ध्यान रहे कि सिर्फ कलाई ही हिलने पाये। प्रारंभ में कम से कम दस बार हरकत दो। -दोनों हाथ सीध में फैला दो । बदन सीधा रहे । टम्बल खड़े पकड़े रहो । पाड़े न हों। अब उन्हें १० चार धीरे धीरे और बल पूर्वक डमरू की भाँति हिलायो । ३-हाथों का सिर की समरग्या में ऊपर ले जाया, और पूर्ववत १० बार हिलायो । पैरों को फला दो । ४-अब तने हुए हाथों को सामने से धीरे धीरे धरती पर झुकायो । जितना मुक सके, उतना भुको । घुटने न मुड़ने पावें । -कुहनियां समरेखा में सामने करके सीधे खड़े रहो, मोड़कर कंधों पर ले जाओ। -अब अपने दाहिने हाथ को कंधे की सीध में फैलायो, कन्धों पर पूरा जोर दो फिर उसे कन्धे पर लाकर दूसरे हाथ से वही क्रिया करो । इन कसरतों से कन्धे भुजदण्ड, छाती, गर्दन, और कलाइयाँ पुष्ट और सुडौल बनेंगी। -अपना दाहिना पैर लगभग २॥-३ फुट के फासले पर आगे की ओर रक्खो । पिछला पांव बिलकुल सीधा रहे और अगले पैर का