पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/३४

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२३ कपड़ों का तो कोई सदुपयोग ही नहीं होता । हरएक चीज तितर-बितर पड़ी होती है। परन्तु जो कन्याएं घर की सजावट सम्हाल और करीने का ठीक-ठीक अभ्यास करती हैं उनका दरिद्र घर भी खूब सजा-धजा सुन्दर रहता है । छटा तरीका बाहर वालों और मेहमानों के सामने अदब-कायदे से रहना है । यह सच है कि बनावट और दिखावा बुरी चीज है । परन्तु मेहमानों और बाहरी आदमियों के सामने मर्यादा, सभ्यता और अदब कायदे का पूरा ध्यान रखना बहुत जरूरी है । कन्याओं के लिए हम नीचे कुछ सभ्यता और अदब कायदे के नियम लिखते हैं, कन्याओं को उचित है कि वे उनका पालन करें। १-बातचीत के सम्बन्ध में ५ नियम- १-जोर से मत बोलो । २-कडुश्रा मत बोलो। ३-इतराकर मत बोलो। ४-किसी की बोली की नकल मत करो।५-कम बोलो २-वस्त्रों के सम्बन्ध में ५ नियम- १-साफ वस्त्र पहनो। १-उन्हें फटते ही सी डालो पोर मैला होते ही स्वयम् धोलो। ३-बहुत चटकीले और कीमती वस्न मत पहनो । ४-न अपने कपड़े किसी को दो, न किसी के लो। ५-सदा स्वदेशी पहनो। ३-नित्य कर्म के सम्बन्ध में ५ नियम- १-सूर्य निकलने से प्रथम उठो और रात को १० बजे से प्रथम सोश्रो। २-दिन में बिना कारण मत सोश्रो । ३-समय पर स्नान, शौच, भोजन और सब काम करो। ४-दिन भर प्रसन्न रहो और फुती ली बनी रहो । ५-घर की सफाई में अवश्य हिस्सा लो। ४-शील सम्बन्धी ५ नियम- १-सदैव माता-पिता और गुरुजन के अधीन रहो। २ झूठ, चोरी,