पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/३५

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२४ पाखण्ड और घमण्ड कभी न करो। ३-सहेलियों और भाई-बहनों से प्रेम और दया का बतो व करो । ४-सम्बन्धियों और महमानों के सन्मुख पूरी सावाधनी से रहो कि कोई अनिष्ट न हो जाय । ५-सबका काम कर दिया करो। ५-धर्म सम्बन्धी ५ नियम-- १-रोगी, अतिथि और छोटे बच्चों की सब प्रकार की सेवाएं प्रेम से करो, उनके किसी भी काम से घृणा न करो । २-पालतू पक्षियों और भिखारियों पर दया और उदारता का भाव रखो । ३-नित्य सन्ध्या-वन्दन करो और सदैव परमेश्वर को अपना रक्षक और अपने अति निकट समझो । ४-पराये भेद मत खोलो । ५-मन, वचन और कर्म से सच्ची बनी रहो। ६--शिक्षा सम्बन्धी ५ नियम-- अपना आधा समय खेल, कूद, मनोरंजन और घर के धन्धों में तथा श्राधा पढ़ने में लगायो । २-जिससे जो बात सीखने को मिले ग्रादर और यत्न से सीख लो । ३-अपनी विद्या का घमण्ड न करो, न पण्डिताई दिखायो वरन् अपनी विद्या को छिपाने की चेष्टा करो। ४-गन्दी और अश्लील पुस्तकें न पड़ो। वे ही पुस्तकें पढ़ो जिन्हें माता, पिता, भाई, गुरु चुन कर तुम्हें दें। ५-एकाध, दैनिक, मासिक श्रोर साप्ताहिक पत्र बिला नागा पढ़ती रहो। ७--स्वास्थ्य सम्बन्धी ५ नियम-- १-थोड़ा, नियमित, सादा, ताजा और उत्तम भोजन करो। २-स्वच्छ और थोड़ा जल पियो, ३-शरीर को भली-भाँति शुद्ध रग्बो और सदा. खुली हवा में रहो, कसे वस्त्र मत पहनो । मुह ढांक कर मत सोयो। ४-कसरत अवश्य करो। ५-मिठाइयाँ, मसाले, चाय, अचार आदि मत खायो।