पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/३६

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२५ - ८-बुद्धि सम्बन्धी ५ नियम- १-बिना विचारे कुछ काम मत करो । २-एकाएक दूसरों की राय मत मानो, न उनका विश्वास करो । ३-मन का भेद सब से मत कहो । ४-ऐसा कोई काम मत करो जिसे किसीसे छिपाना पड़े। ५-सदैव अपने से बड़ों की और प्रतिष्ठित जनों की संगति करो। ह-कला सम्बन्धी ५ नियम... १-गाना बजाना। २-सीना पिरोना ३-चित्र-विद्या ४-रोगी और घरेलू दवाइयां । ५-हिसाब-किताब । इन पांच बातों को जितना अधिक सीख सको अवश्य सीख लो। १०-व्यवहार सम्बन्धी नियम- १-किसी से सहायता की अाशा न करो । स्वयम् सब की यथा शक्ति सहायता करो २-सखी-सहेलियों और रिश्तेदारी में कभी कुछ चीज उधार न माँगो । इष्ट-मित्रों और बन्धु-बान्धवों को समय-समय पर भेंट , नजर , तोहफे भेजती रहो प्रेम पूर्ण पत्र भी लिखती रहो। ४-भूल कर भी किसी की दिल्लगी न उड़ायो ५-गैर मर्दो और सम्बन्धियोंके साथ मर्यादा,सभ्यता तथा यौचित्य का सदा ध्यान रखो। अध्याय पांचवा तन्दुरुस्त रहने की रीतियाँ प्रातःकाल सूरज निकलने के घण्टा भर पहले उठो और भगवान का नाम लो। पिर शौच जायो । उसके बाद हाथ धोयो । हाथ धोने के बाद मुह धोना चाहिए । मुंह में पानी भर कर आँखे धोने से प्रोग्य खुब साफ होती हैं।