पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/५७

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(२) दूध १ सेर, डबलरोटी १ नग खिचड़ी ३ छ०, घी १ छ. शकर १ छ०। इन भोजनों में पोषक तत्व, चिकनाई-तत्व और शर्करा काफी है । अनुमानतः ६ तो० पोषक-तत्व, ८ तो० स्नेह और ३० तो शर्करा है। दुकानदारों, व्यापारियों आदि का भोजन--गेहूँ का आटा ५ छ०, दाल १॥ छ०, दूध २ पाव, घी १॥ छ०, शकर १ छ । शाक यथेच्छ । इसमें पोषक तत्व ८ तो० शर्करा २३ तो० है। चिकित्सक, सम्पादक और उच्च राजकर्मचारियों के योग्य भोजन- गेहूँ का आटा ४ छ०, चने का श्राटा १ छ०, चावल का श्राटा २ छ. दूध ३ पाव, घी २ छ०, शकर १ छ० और शाक यथेष्ठ । इस खूराक में पोषक-तत्व ८ तोला चिकनाई १० तो० और शर्करा ३५ तो० है । पढ़ने लिखने वालों को दूध-दही, मलाई, घृत आदि अधिक खाना चाहिए । शारीरिक परिश्रम करने वालों को चावल, शकर आदि अधिक खाना चाहिए। १ तोला घी खाने से जितनी शक्ति मिलती है उतनी शक्ति ३ छ० शकर खाने से मिल जाती है। हर हालत में चिक- नाई से जो शक्ति शरीर को मिलती है उससे दुगनी शक्ति शकर से प्राप्त होती है। किन्तु अामाशय पर दुगना बोझ पड़ जाता है । दिमागी काम करने वालों को यथा-सम्भव अधिक भारी वस्तु खाकर पेट को भारी नहीं कर लेना चाहिए । कुवारे तथा ब्रह्मचारियों को केवल दो बार भोजन करना और सुबह शाम १॥ पाव दूध पीना चाहिए। शाक-सब्जी के गुण पत्त, फूल, फल, नाल, (डंडी) कंद, और संस्वेदज इस प्रकार छः प्रकार के शाक होते हैं । इन में पहले की अपेक्षा दूसरा भारी है । सब प्रकार के शाक श्राम तौर से मल को निकालने वाले भारी, खे, मल को अधिक बनाने वाले और वायु को निकालने वाले होते हैं ।