पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/७०

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में २।। माशा साइटिक एसिड होता है । खट्टे फलों में किसी न किसी प्रकार का एसिड होता ही है । श्राम में गिलेक, साइटिक टारटरिक और मालेक एसिड पाये जाते हैं। मेवों या मूखे फलों में काप्टौज कर्बोज की शकल में होता है। सेव, पथरी, मसाने के रोग, हृद्रोग में बहुत ही फायदेमन्द है । इसमें फासफरस का भाग अधिक होता है, इसलिए यह शक्तिवर्धक भी है। अंजीर और अंगर बड़े अच्छे मुलैयन हैं। जिन्हें पुरानी दस्त या कब्ज की शिकायत हो उन्हें निरन्तर ये फल खाने का अभ्यास रखना चाहिए । जरूर शिकायत मिट जायगी । मुनक्का खास तौर पर मुले- यन है। अंगूर, संतरा और अनार कड़वी दवा पीने के बाद मुंह का जायका सुधारने के लिए बहुन बढ़िया चीजें हैं । अनार का रस बदहजमी और पतले दस्तों के लिए नायाब चीजें है। परन्तु खाँसी, सर्दी और जुखाम में हानिकर है । नीबू गठिया और जिगर की बीमारी में उत्कृष्ट है । मलेरिया बुखार में बहुत लाभ कारी है । मुंह का स्वाद ठीक करने में बहुत उत्तम है । पके अाम दम्तावर और शक्ति वर्धक हैं । आम का पना नमक, जीरा और काली मिर्च मिलाकर पीने से आधासीसी में बहुत फायदा पहुँ- चाता है। पक्का बेल संग्रहणी और पेचिश को फायदा करता है । गोला बहु- मुत्र रोग में खास तौर पर गिजा के रूप में लिया जा सकता है । साबू- दाना और अरारोट में पोषक तत्व और लवण बहुत कम होता है। मसालों में हल्दी, काली व लाल मिर्च, धनिया, जीरा श्रादि में किसी न किसी प्रकार के उड़ने वाले तैल रहते हैं । उसी की उसमें गन्ध, रहती है । ये तैल गुणकारी होते हैं ।