पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/७४

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६३ । पोपक तत्व अत्यन्त सरलता एवं ब्रह्मा, लका, नेपाल, भूटान देशों में चावलों का एक छत्र राज्य है । यह कहा जा सकता है कि मनुष्य जाति के श्राधे प्राणी चावल खाते हैं चावल की जातियाँ सौ से भी ऊपर पहुँचती हैं । भोजन के मूल अवयवों को देखते-इसमें पोषक तत्व और स्नेह भाग बहुत कम है। परन्तु इसमें खनिज द्रव्य और कर्बोज (श्वेत सार) खूब अधिक है । इसमें नेत्रजन का भाग अधिक होने से यह अत्यन्त सरलता और शीघ्रता से पच जाता है । यदि अकेला खाया जाए तो चावल में कर्बोज०, २५ और शर्करा०, ४ है । पकने पर खूब नरम हो जाता है का कुछ भाग उड जाता है । यह बहुमूल्य और स्वाभाविक खाद्य है । खास कर रोगियों के लिए अत्यन्त उपयोगी पथ्य है- से हजम हो जाता है । प्रायः नये चावल पसन्द नहीं किये जाते, पुराने चावल अधिक पसन्द किये जाते हैं । क्योंकि यह शीघ्र पचते हैं । संयुक्त प्रान्न के सर्वोत्तम चावल नेपाल की पहाड़ी की तराई में होते हैं और देहरादून और टनकपुर मण्डी से बाजार में आते हैं, हमराज और वास- मती चावल बहुत अच्छा माना जाता है । गेहूँ-- जिन प्रान्तों में चावल का प्रचार नहीं, वहाँ गेहूं का आटा ही मुख्य है । गेहूँ के बिना छने पाटे में छने हुए ग्राटे और मेदे की अपेक्षा पोपक-तत्व अधिक है । गेहूँ के छिलके में पोषक तत्व और लवण दोनों बड़े परिणाम में होते हैं । जो लोग बहुत बारीक चलनी में बाटा छान कर खाते हैं, या मैदा को बहुत पुष्टिकारी गिजा समझते हैं, वे कितनी भूल करते हैं, यह पाठक स्वयं समझ सकेंगे। एक बात और ध्यान में रखने योग्य है, कि अन्न वर्ग में कर्बोज "श्चेत सार" [निशास्ता] की शकल में पाया जाता है। जो- जौ की रोटियाँ भी कई प्रान्तों में खाई जाती हैं । जयपुर इलाके में