पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७३ डुलाश्री नहीं तो उस पर मोटी मलाई की तह जम जाएगी और मक्खन अधिक निकलेगा । पर वह दूध इतना खट्टा हो जाएगा पोने के काम का नहीं रहेगा । यदि दूध भी काम में लाना है तो रात भर ही रख कर मक्खन निकाल लेना चाहिए । इसमें मक्खन निकलेगा रई और उसके इस्तेमाल को सब जानते है । उससे पाव वण्टे में मस्खन निकल श्राता है । मशीन से कुछ जल्दी निकलता है । मलाई से यदि मक्खन निकालना हो तो तमाम मलाई को बर्तन में डाल दो और ठंडे पानी के जरा छींटे दो, और दूध की अपेक्षा जरा जोर से हाथ मारा, ज्यों-ज्यों माखन आने लगे; हाथ जरा धीमा करते जायो । ख्याल रखना चाहिए रई गरम न होने पाये, वरना मक्खन पिघल जायगा और कठिनाई पड़ेगी। ज्योंही हाथ भारी होने लगे--रई को धीमी कर दो। और देखो कि मक्खन के दाने तैरने लगे हैं या नहीं । फिर बहुत ही आहिस्ता आहिस्ता रई मारो जब तक कि मक्खन का लोदा न बन जाए । स्मरण रहे कि जब तक तमाम मक्खन का लोंदा न बन जाए मक्खन बाहर नहीं निकालना चाहिये । ऐसा करने से बहुत कम मक्खन निकलेगा। जब सब मक्खन निकल आये तो उसका एक लोंदा बनाकर एक घड़े में ठण्डा पानी भरकर उसमें डाल दो- कुए और तालाब का पानी कुछ गर्म होता है । जरासा नमक मिला कर रखने से मक्वन कई दिन तक खट्टा नहीं होता । जल अलबत्ता दोनों समय बदलना चाहिये । मक्खन को कभी हाथ से नहीं छूना चाहिए, न गर्म स्थान में रखना चाहिये । उठाने धरने का काम लकड़ी या बाँस की खपच्ची की चीमटी से करना चाहिए । मक्खन निकालने का काम सदा बहुत सबेरे उठकर करना चाहिये । गर्मी में यदि मक्खन पिघल जाए और प्रासानी से न निकले तो उसमें थोड़े-थोड़े बर्फ के टुकड़े डालने और हंडी को ठंडे पानी में रखने से मक्खन निकल पाता है। मक्खन के गुण- ३--ताजा मक्खन-ठण्डा, वीर्य वर्द्धक, तेज वर्द्धक, कान्ति कारक; कुछ