पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

७४ काबिज, शक्ति दाता, रुचिकारी, स्वादु, नेत्रों को हितकारी, बवा. सीर, क्षय, रक्तविकार, लकुत्रा, थकान और श्वास में गुणकारी है। --बासी मक्खन-भारी और कफ पैदा करने वाला हो जाता है। वह चबी भी पैदा करता है। रोगों पर मक्खन का इलाज- -क्षय में शक्ति लाने के लिए मक्खन १ तोला, शहद छै मासा, और वर्क सोना १ नग मिला कर सुबह सुबह चाटे । -आँखें जलती हों--तो मक्खन मलें । -हाथ पैरों में जलन हो--तो मक्खन मिश्री खावे । ४-बोदरी माता-में बच्चों के शरीर में गर्मी निकली हो तो ६ माशा मक्खन मिश्री और जरासा पिसा जीरा मिला कर खाय । -भिलावा आदि आँख में गिर पड़े तो मक्खन मले, तिल मक्खन खावे। २ घृत हर अठवारे पर सब मक्खन या लौनी को इकट्ठा कर घृत बना लेना चाहिये । प्रायः रविवार के दिन देहात में घृत बनाते हैं और सोमवार को बाजार में बेचने पाते हैं। सोमवार को सब बाजारों में प्रायः ताजा घृत मिल जाता है। घृत बनाना-- एक साफ कढ़ाई या कलईदार देगची में सब मक्खन भर कर मन्दी- मन्दी कोयलों की आँच पर धीरे-धीरे तपने दो । पहिले कुछ मैली अावेगी, पीछे अन्दर कुछ सफेद-सफेद धुंधला-सा दिखाई देगा। थोड़ी देर बाद साफ घी पतला ऊपर आवेगा और छाछ मैल सब पेन्दी में जन जावेगी। फिर बबूले उटेंगे और घृत सनसनायेगा। अब घृत तैयार है । उसे