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पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/९१

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भारी असा य रोगी का प्राण बच सकता है। कांच का चूर्ण खाने पर- दही भर पेट पिलावे। प्यास पुरानी ईंट को साफ धोकर भाग में लाल करके दही में बुझावे । वही:- दही थोड़ा थोड़ा पिलावें । दूसरा नुस्खा मीठा दही १२८ भाग, चीनी ६४ भाग, वी ५ भाग, शहद ३ भाग, मिर्च काली पिसी दो भाग, इलायची-दाने का चूर्ण २ भाग, सब मिला- कर मिट्टी के बर्तन में रखना और प्यास वाले को थोड़ा थोड़ा देना चाहिए। आधा शीशी सूरज के साथ घटने बढ़ने वाली प्राधा सीसी पर सूर्योदय से प्रथम ३ दिन तक दही-भात भोजन करना चाहिए । छाछ दही को बिलोकर सब मक्खन निकाल लेने न पीछे जो पतला पदार्थ बच रहता है उसे छाछ कहते हैं । यह बहुत ही स्वादिष्ट, गुणकारी चीज है । गाँव के लोग इसके कई तरह के खाद्य बनाते हैं, जो बहुत प्रसिद्ध है । कढ़ी और शिखरन बड़े-स्वादिष्ट बनते हैं। गुण गाय का मट्ठा अग्निदीपक, बवासीर को जड़ से नाश करने वाला, हल्का, हृदय को प्रिय, पेशाब साफ लाने वाला और कब्ज करने वाला है । कमल वाय, प्रमेह, मुटापा, संग्रहणी, सुजाक, चिनग, अति- सार, भगंदर, जलोदर, वाय गोला, कृमि, शूल आदि रोगों में बड़ा हितकारी है। और अच्छी