१४-जवाहरात की खोटे खरे की परख करना। १५-सोना, चाँदी की खोटे खरे की पहचान करना । १६-नकली सोना-चाँदी, हीरा मोती बनाना । १७-जेवरों पर पालिश करना, उजालना । १८- चमड़े की चीज़ों पर पालिश करना । १६-पशुओं की खालों को कमाना । २०-दूध दुहना । २१-घी, मक्खन निकालना । २२- कपड़े सीना । २३-तैरना। २४-घर को और घर के बर्तन तथा सामान को साफ़ रखना ।२५-कपड़े धोना।२६-बालसफ़ा बनाना और उसका उपयोग करना । २७-मीठी-मीठी बातों से दूसरों को खुश करना । २८-बाँस, बेत और तिनकों से टोकरी, पंखे आदि बनाना-। २६-काँच के बर्तन बनाना । ३०-वृक्षों में जल सींचना। ३१-हथियार बनाना। ३२-गद्दे, जीन, तकिये बनाना। ३३-बीजों से तेल निकालना। ३४-बीज बोना। ३५-वृक्षों पर चढ़ना। ३६-बच्चों को पालना ।३७-चाबुक बैंत लगाकर अपराधियों को दण्ड देना। ३८-भाँति-भाँति के अक्षर लिखना।३९-पान सम्हाल कर रखना। ४०-सब कामों को झटपट सफ़ाई से करना। ४१-विशेष कामों को धीरे २ करना । ४२-रंगे हुए चावलों आदि से आँगन या तख्ते पर फूल पत्तियाँ बनाना।४३-इत्र आदि सुगन्ध द्रव्य बनाना। ४४-जादू के खेल व हाथ की सफाई के खेल करना। इनके सिवा और भी कलाएँ हैं- ४५-शरीर को स्वस्थ नीरोग और सुन्दर, युवा बनाये रखने की भिन्न २रीतियाँ और औषध जानना। ४६-सुई और धागे की भाँति-भाँति की कारीगरी जानना । ४७-पहेलियाँ बनाना- कहना.। ४८-ग्रन्थ पढ़ने या-कविता कहने का अभ्यास करना। ४६-काव्य समस्या पूर्ति करना । ५०-लकड़ी, धातु के भाँति के काम करना । ५१-घर बनाने के नकशे आदि बनाना । ५२-बाग लगाना । ५३-तैल मालिश करने और उबटन करने तथा अंग
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