१०, लाल मिर्च १ माशा, लोंग ४ रत्ती, बड़ी इलायची ६ रत्ती, अदरक ४ माशा, हीग २ रत्ती, जीरा १ माशा, ले कर पहले दाल को दो-तीन पानी से धो कर थोड़े पानी में छोड़ दो । ऊपर से हल्दी पीस कर छोड़ दो। और बटलोई चूल्हे पर पकने दो। जब दाल गल जाय तब उतार कर पानी निथार लो और दाल किसी दूसरे वर्तन में निकाल लो । अव अन्दाज से पिसा हुआ नमक, अदरख, दही संव उसी उबाली हुई दाल में मिला कर कुछ देर के लिए ढक दो। फिर बटलोई में १ छ० घी और हींग, जीरा आदि सब मसाला छोड़ कर बधार तैयार कर उस दाल को छोंक कर खूव भूनो । जब भुन जायं तब निधरा हुआ पानी छोड़ दो। यदि पानी कम पड़ जाय तो गर्म करके ,और डाल दो और ६ माशा चीनी, चार तोला अमचूर, डाल वटलोई अंगारों पर रख दो । तथा उसका मुँह बन्द कर दम में पकने दो। कुछ देर वाद भोजन करो, अत्युत्तम.दाल बनेगी। दूसरी सर्वोत्तम शाही रीति अरहर की दाल बनाने की यह है कि १ सेर चुगी-वीनी दाल जिसमें एक भी छिल्का न हो धो, साफ कर के कुछ अधिक पानी में उबाल तो वाद को कपड़े में छान डालो। फिर दही और अदरक का रस डेगची में छोड़कर दाल उस में छोड़ दो। २ घड़ी वाद अाध सेर घी पतीली में छोड़ कर दाल को खूब भूनो । जब दाल सुर्ख हो जाय तब उसमें नमक और वह छना हुआ पानी भी डाल दो। जब 'दाल फट जाय तव काली मिर्च ४ माशा, दारचीनी २ माशा, बड़ी इलायची ४माशे, लौंग दो माशे, केशर १॥ माशे, काला जीरा २ माशे, नमक ३ तोला 'पीस कर डाल दो। जव दाल एकदम 'घुल जाय तत्र दूसरी पतीली में पाव भर घी, १ रत्ती हींग का पानी और जीरा डाल कर वघार तैयार करो। और उसमें दाल छोंक दो। तथा पतीली का मुँह बन्द कर दो। थोड़ी देर बाद बचे हुप घी में
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