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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१२२

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तव अदरख खूब बारीक कतर कर दाल में छोड़ दो। और नमक छोड़ डेगची अंगारों पर रख दो। इधर बादाम और केसर दूध में पीस छान दाल में छोड़ो और मलाई के साथ ही ३छ० घी भी छोड़ कर डेगची का मुँह बन्द कर दम पर पकने दो। इस बचे हुए घी में जीरा इलायची का बघार तैयार कर दाल छोंक दो। बहुत स्वादिष्ट और हाजिम होगी। मसूर, चना और मटर आदि की दालें भी साधारणतया बनती हैं। पर यहाँ स्थानाभाव से हम सिर्फ विशेष,वातों ही का उल्लेख करेंगे। पंच रत्न दाल- यह दाल-मूंग, मटर, चना, अरहर, उर्द आदि पाँच चीजों से बनाई जाती हैं। यह दाल धुली बननी चाहिये । यह दाल भी ऊपर लिखित मसाले डाल कर उसी रीति से बनानी चाहिए। भात चावल अन्नों में सबसे श्रेष्ठ होता है । यह अमीर-गरीब सब के उपयुक्त है । साधारणतया भात तिगुने पानी में चावलं पकाने से वन जाता है। चावल प्रथम तेज पानी से पकाना चाहिए और पीछे क्रमशः मन्दाग्नि देना चाहिए। ऐसा न करने से चावलों का लोंदा वन जायगा। पकाते समय उन्हें बार-बार ने चलाना चाहिए"वरना टूट जावेंगे। नये'चावलों की अपेक्षा पुराने चावलों में आँच ज्यादा लगती है। यदि चावल को पकते ही फौरन -खिलाना है तो अच्छी तरह तीनों कनी गला कर तच मांड पसाना चाहिये । यदि कुछ देर में भोजन कराना है तो एक कनी रहते मांड पसाना चाहिए। भात' की तारीफ यह है कि'करकराहो श्रीर की भी गल जाय ११