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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१८४

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ही होती है। परन्तु जब तक वे जमा खर्च रखने की रीति ठीक- ठीक न जानेगी कुछ भी लाभ नहीं उठा सकतीं। सब से जरूरी बात तो यह है कि कोई भी सौदा एक पाई का भी उधार न लिया जाय । जो लोग दूकानदारों से उधार सौदा लेते हैं उन्हें बहुत मँहगा और रद्दी माल मिलता है। साथ ही उधार लेने वाले की स्वतन्त्रता और प्रतिष्टा नष्ट हो जाती है। वह दूकानदार का गुलाम बन जाता है। पूँठे और गांठ कतरे दूकानदार ही उधार का व्यापार करते हैं । सस्ते दूकानदार नगद माल बेचना ही पसन्द करते हैं। जिन लोगों को उधार सौदा खरीदने की चाट पड़ जाती है वे चाहे जब कीमती चीजें खरीद लेते हैं-पीछे उन्हें चुकाने के लिये फजीते और अपमान सहने पड़ते हैं। इसलिये फिजूल खर्चीसे बचनेके लिये ३ वातों का नियम करो। १-जिस चीज़ को लेना चाहो उसके विषय में २५ बार मन में कहो "क्या इसके विना काम नहीं चलेगा?" २-उधार कदापि मत लो। ३-क्या उस चीज़ की जगह घर में रक्खी किसी और चीज से मतलब नहीं निकल सकता है ? इसके सिवा नित्य अामद खर्च का हिसाब लिखो। प्रत्येक मास की पहली तारीख को अपने खर्च और आमद का अनुमान घनाओ और उसी के अन्दाज़ से काम करो। काम की बातें १-सरसों का (कठ्ठा) तेल लगाने से मिट्टी के तेल की १७१