हाथों की दुर्गन्ध नष्ट हो जाती है। फिर सावुन और गर्म पानी में हाथ धो डालना चाहिये। २-यदि हाथ में तारकोल का तेल लग जाय नो वह मिट्टी के तेल से फौरन ही दूर हो जायगा। मिट्टी के तेल की बू उक्त विधि से दूर हो सकती है। ३-प्रायः देखा गया है कि लालटेनों में खराबियाँ हो जाया करती हैं। वह ज्यादा धुआँ देने लगती हैं, जलने के दो या चार घण्टे वाद ही चिमनी धुआँ से अन्धी-सी हो जाती हैं और रोशनी बिल्कुल ही धीमी पड़ जाती है। उस समय यह करना चाहिए कि लालटेन के ऊपर के हिस्से को विल्कुल साफ़ कर देना चाहिए और वत्ती को एकसा काट देना चाहिए। इस प्रकार वत्ती को बदलते रहना चाहिए। ४-धी को पीपों या वर्तनों में इकट्ठा करते वक्त उसको पान के टुकड़े डालकर गरम करके और छान कर रखने से घी के विगड़ने का बहुत दिनों तक डर नहीं रहता। ५-असली हींग की रंगत कुछ स्याही लिये हुए लाल होती है और उसके जीभ पर रखने से कुछ चरचराहट तथा कडापन- सा मालूम होता है, भूरे रंग की हींग असली नहीं होती। ६-सरसों के उबटन से मुख उज्वल होता है। कुछ सरसों पीस पानी मिला गूंध लेनी चाहिए, उसे मुंह पर या सब शरीर पर लगा, पाँच मिनट लगी रहने देना चाहिए । इसके बाद गुन- गुने पानी से खूब अच्छी तरह मल कर धो डालना चाहिए। इसके प्रतिदिन सेवन से रूप-रंग अच्छा होता है। ७--सुखाई हुई श्राम की पत्तियों को धधकते हुए कोयलों पर जलाने से मक्खियाँ भाग जाती हैं।
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