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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/१९५

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तियां सीध में सामने की ओर रख दो। और डम्बल को इमर्स की भांति हिलाओ । ध्यान रहे कि सिर्फ कलाई ही हिलने पावे। प्रारम्भ में कम से कम दस बार हरकत दो। २-अब दोनों हाथ सीध में फैला दो। बदन सीधा रहे । डम्बल खड़े पकड़े रहो । आड़े न हों। अब उन्हें १० वार डमरू की भांति हिलानो। धीरे २ और बल पूर्वक । ३-अब हाथों को सिर की समरेखा में ऊपर ले जाओ, और पूर्ववत् १० बार हिलायो। पैरों को फैला दो। ४-अब तने हुए हाथों को धीरे २ धरती पर झुकायो। जितना झुक सके, उतना झुको । पर घुटने न मुड़ने पावें । ५-इसके बाद कुछ विश्राम लो । तब दोनों डम्बल कुहनी मोड़कर कंधों पर ले जानो। कुहनियां समरेखा में हों। ६-अव अपने दाहिने हाथ को कंधे की सीध में फैलाओ, कन्धों पर पूरा जोर दो फिर उसे कन्धे पर लाकर दूसरे हाथ से वही क्रिया करो। इन कसरतों से कन्धे भुजदण्ड, छाती, गर्दन, और कलाइयाँ पुष्ट और सुडौल बनेंगी। -अपना दाहिना पैर लगभग २॥-३ फुट के फासले पर आगे की ओर रक्खो। पिछला पांव विल्कुल सीधा रहे। और अगले पैर का घुटना कुछ झुक जाए। दोनों हाथों को सीधे सिर से ऊपर ले जाओ। कुछ समय खड़ी रहो। ८-सीधी खड़ी रहो । दाहना पैर दाहिनी ओर को सीधा फैलाओ । पर पिछली टाँग मुड़े नहीं। अगली कुछ झुका दो। अब दोनों को सामने ले जाकर । जरा ऊंचाई पर डम्बल को मिला दो। प्रत्येक क्रिया ८-१० वार करो। इससे १८२