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पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/४६

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जहाँ गन्दगी बहुत दिनों से इकट्ठी न हो, ओर जहाँ खुली और साफ़ हवा बिना रोक टोक के आ सकती हो। मकान की कुर्सी ऊँची होनी चाहिए जिससे बाहर की नदी या बर्साती पानी की सील घर के भीतर न घुस जाय । पानी का ढाल और निकास का प्रवन्ध अच्छा हो । मोरी और नावदान पक्के बने होने चाहिए। घर के कमरे इस तरह बने हुए हों जिनमें रोशनी और हवा खूब आलके, दाजे खिड़की आमने सामने हों। अन्धेरे कमरे जिनमें सिर्फ एक ही तंग दर्वाज़ा हो, रोशनदान या खिडकी कोई न हो, बीमारी का घर होते हैं । साँप बिच्छू और कानखजूरों के अड्डे ऐसे ही मकानों में होते हैं। सफ़ाई भी इनकी अच्छी नहीं हो सकती। मकान में कितने कमरे हों यह वात अपने सुभीते और काम काज पर निर्भर है। परन्तु साधारण तौर से इतना प्रवन्ध काफ़ी होगा-सोने का कमरा, असवाव का कमरा, बैठक या काम-काज का कमरा, रसोई, गुसलखाना, पाखाना और पशुशाला। सोने के कमरे में फालतू असवाब बिलकुल न हो, सिर्फ विस्तर और चारपाई हों । दर्वाजे और खिड़कियाँ काफ़ी हों । कुछ खिड़कियां या हवादान ऊपर हों। सर्दी के मौसम में अगर दाज़ बन्द करके सोना हो तो ऊपर के हवादानों से हवा ग्राती रहे और कमरे का वायु मंडल साफ रहे। असबाव के कमरे में असवाय इस तरह रक्खा जाय कि कमरे में झाडू आसानी से लग सके और प्रत्येक स्थान साफ रहे।