३-दूसरों की निन्दा, चुगली, कठोर भापण, निरर्थक बकवाद, इनसे दूर रहो। ४-सब के काम में आने वाली वस्तुओं को खराब न करो- जैसे कुप, नदी, नालाब, बारा, बगीचे, सड़क, इनके पास गन्दे काम नहीं करने चाहिये। इनको खराब नहीं करना चाहिये। बल्कि अपनी ही चीजों की तरह इनकी रक्षा करनी चाहिये। ५-रात में वृक्षों के नीचे न रहना चाहिए । रात में एक प्रकार की खराब हवा ( कार्बोलिक एसिड गैस) वृक्षों के नीचे जमा हो जाती है जो तन्दुरुस्ती के लिये हानिकारक है। ६-शराब, भंग, तम्बाखू ( बीडी सिगरेट हुक्का) चाय, काफ़ी आ दे नहीं पीना चाहिये। जुआ खेलना, चोरी करना, अफ़ीम खाना आदि बुरी आदतों से दूर रहो। ७-दुष्टों के संग से बचो। ८-सब के सामने मुँह करके खाँसना, उबासी लेना, छींकना अनुचित है। ये काम करने हों तो दूर जा कर करो। या मुँह के सामने हाथ कर लो। १-कुष्ट, खुजली, हैजा, प्लेग वुखार, शीतला, आतशक, (गर्मी) सोज़ाक, क्षय (तपेदिक) ये उड़कर लगने वाली बीमारियाँ हैं, इनसे सब को बचना चाहिये। पढ़ना जव पढ़ने बैठो तो सीधे बैठोः झुक कर न वैठो, कमर सीधी रक्खो और सब तरफ़ से मन को हटाकर पाठ की ही तरफ़ ध्यान लगाओ और समझ बूझ कर याद करो। ३६
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