सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हमारी पुत्रियां कैसी हों.djvu/९५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

तरह कलई की गई हो-मलाई जमाने में अच्छे रहते हैं। दूध उनमें डालने से प्रथम उन्हें अच्छी तरह रगड़ कर धो लेना चाहिये। किसी तरह की चिकनाई और खट्टी गन्ध उनमें न रह जाय । फिर थोड़ा धूप में सुखा कर उनमें दूध भर देना चाहिए। ये पात्र दूध से पौने भर देने चाहिएँ, और दूध को सन्नाटे के कमरे में रख देना चाहिए; जो बन्द और ठण्डा हो, जहाँ कोई न आवे-जावे,'आने-जाने से वहाँ की हवा में विघ्न पड़ेगा। और मलाई ठीक न जमेंगी। गर्मी में रात को किवाड़ खोल देने चाहिए। जब तक मलाई न जम ले, बर्तन कदापि न हिलने पावे, वर्तनों के नीचे रेत विछा देना बहुत अच्छा होता है। वदली के दिनों में:मलाई अच्छी नहीं जमती । पाले का दिन बहुत ही बुरा है। मलाई जमाने के लिए उजला साफ धूप का दिन ठीक है। मलाई उसी दूध में पड़ सकती है, जिसे रखे हुए १२ घण्टे से अधिक न हुआ हो। पर गर्मी और बरसात में दूध जल्दी खट्टा हो जाता है। इसलिए दूध को ताजा-ताज़ा उवाल कर मलाई बना लेनी चाहिए, कच्चे दूध की अपेक्षा औटे हुए दूध में मलाई अच्छी पड़ती है । मलाई और मक्खन के लिए दुग्ध को पीने के दुग्ध की अपेक्षा अधिक उवालो । परन्तु याद रहे कि उवाला हुआ दूध खट्टा जल्दी हो जाता है । चॉदी के प्याले, गिलास और चस्मच से भी दुग्ध खट्टा हो जाता है। लोहे से दुग्ध का गुण तो नहीं कम होता, पर मलाई का रंग कुछ मैला अवश्य हो जाता है । पीतल के बर्तन में दुग्ध रहने से पितला जाता है। नये मिट्टी के बर्तन में दुग्ध सौंधा जाताहो। और मलाई मक्खन भी खूब निकालता है। फूल, जस्त और कलाई के बर्तन भी अच्छे हैं, काठ के पात्र भी बुरे नहीं हैं । मलाई अत्यन्त -मैथुन शक्ति बढ़ाने वाली है। ८३