से नहीं छूना चाहिए, न गर्म स्थानमें रखना चाहिये। उठाने धरने का काम लकड़ी या बॉस की खपच्ची के चीमटी से करनाचाहिये। मक्खन निकालने का काम सदाबहुत सवेरे उठकर करना चाहिये। गर्मी में यदि मक्खन पिघल जाए और आसानी से न निकले तो उसमें थोड़ी-थोड़ी बर्फ के टुकड़े डाल देने से और हंडी को ठंडे पानी में रखने से मक्खन निकल आता है। मक्खन के गुण- १-ताज़ा मक्खन-ठण्डा, वीर्य वर्द्धक, तेजोवर्द्धक, कान्तिकारक कुछ काबिज, शक्ति दाता, रुचिकारी, स्वादु, नेत्रों को हित- कारी, बवासीर, क्षय, रक्तविकार, लकुआ, थकान और श्वास में गुणकारी है। २-चासी मक्खन-भारी और कफ पैदा करने वाला हो जाता है। वह चर्वी भी पैदा करता है। मक्खन रोगों पर- १-क्षय में शक्ति लाने के लिए मक्खन १ तोला, मासा, और वर्क सोना १ नग मिलाकर सुबह सुबह चाटे। २-आँख जलती हों तो मक्खन मले। ३- हाथ पैरों में जलन हो-तो मक्ख मिश्री खावे। ४-बोदरी माता-में बच्चों के शरीर में गर्मी भिंदी हो तो ६ माशा मक्खन मिश्री और जरासा पिसाजीरा मिलाकर खाय । ५-भिलावा आदि आँख में गिर पड़े तो मक्खन मले, मक्खन, तिल खावे। 2 , शहद छै । घृत हर अठवारे पर सब मक्खन या लौनी को इकट्ठा कर घृत
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