पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१२२

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सास रायरे, रस्ती सम्मुग नूनन, यह रहस्य - उद्घाटा-रत जन, उलझन म उलश है प्रतिक्षम । जागा है जग-रूप, मनुज ने इन लघु - इद्रिय - उपारणों से, माय और कारण पौ लडियो जमो पो है स्मरणों से, पर, यथार्थता वरा है? यह जो है वेवल इन्द्रिप-मबदन" पूर्वोत्तर का घटना - प्रम ही है क्या कारण - पार्य - विवेचन मै प्रश्नावलिया सदिया से भारती है मानय - हिय - मन्थन यह रहस्य - उद्घाटन - रत जन, यह समलय तन, यह नित उम्मन । ये इन्द्रियाँ कभी क्या हमरो ययाथता वा परिचय? न्यनो से देखा है जिसको है क्या नहीं यास्तविक निश्चय प्रकृति क्लिोषी जब भापी से, तब, क्या देखो.? केवल साइ। तब अवलोकी इक छल-छाया । देसी वस केवल परछाई । हम विपपाधी जनम के १२