पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१२५

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गवेदन गया विज्ञान -शानमा दाता है यल इन्द्रिय पूछ रहा है आज अर्थक - सा यह रहस्य - उद्घाटन - रत जन । वह यो आदि मनुज ने लपट देसनर, अग्नि वनामी सदन -लालिता। सौग प्रेरणा जिसने पहा करो तुम यहि पालिता। आदि मनुज ने पशुगण देखें, उन्हे बनाया निज अनुगामी । वह क्या थी प्रेरणा कि जिसने याहा बनो तुम इमके स्वामी यह, जो आदि प्रेरणा हिय में है यह भी क्या इन्द्रिय - स्पन्दन? अथवा यह है शनित अभौतिक ? पूछ रहा है यो जा उन्मन । अपने को उपफरण- समुच्चय कैसे गाने मानव प्राणी?- जब कि वित्तार और लिसन को। उसने पामी अमर निशानी।। TEN " मनुज पर रहा है घोपित यो मा 47 अरे नही हूँ भूत

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