पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१४१

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लो, तब तो है अभी तुम्हारी सुन्दर की सावना अधूरी। नही कर सके हो तुम अब तक उपाराना पूरी। सुन्दर को 1 1 अरे, सुमन ही क्या? सुन्दर के तो है ये पाह्न भी पाहुन 1 गर्जन भी है वहा । नहीं है केवल मधुपो की ही गुन गुन मत समझो मलयानिल ही है उराका शीतोच्छ्यास भला - सा, अनलानिल भी नित्य उच्छ्वसित वरती ही है उसकी नासा, फूलो पर ही नहीं, कष्टको पर भी है सुन्दर का नर्तन, सुखद, दुखद, यह तो है केवल उराका क्षणिक रूप परिवतन! ६ है जीवन के एक हाथ में मधुर जोयनामृत का प्याला, और, दूसरे कर में उसके है पद मरण - हलाहल - हाला । एन आप मे निकल रही है सब बहन की वह्नि अपारा, और दूगरी से रहती है नित्य मरण जल - गवता - धारा हम पिपाया जनम के 315