पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१९३

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मानव की क्या अन्तिम गति-विधि? क्या है नर का भाग्य जगत् मे ? क्या है उसको अन्तिम गति विधि? आवागमन-रेख ही क्या चिरवेष्ठित उसको सुपरिधि ? लख निज को, लख इतर जनो को उगते, बढते औ' मुरझाते.- लम्प पूणित गति-वन जगत् का, ऐसे प्रश्न हिये - फुर आते, क्या है कुछ उद्देश्य ? या, कि है केवल निरुद्देश्य मानव का क्या काम यहा पर निरद्देश्य है क्या जीवन - क्रम? जग- सम्भ्रम? मेने जब यह अच्छी विद्या है। जब पूछा गया है?' तब-तब अनुध्वनि आयी 'क्या है ?' मेरी बनि लौटी बन प्रतिध्वनि, भौतिक मेरी यह 'क्या है? क्या है " सुन, मागो जग मुंह चिढ़ा रहा है, अम्बर यह, अज्ञात, अगम से, मुहायो मानो भिडा रहा है, क्या है भवितव्यता मनुज को? उमका भी है क्या अपना पद' या उगवा जीयन है केवल दस पेने नस, तीस तीक्ष्ण रद? हम विपपासनम के