पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/१९५

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कभी-कभी तो यो लगता है कि हे जगट - व्यापार अहेतुक, यह है इक जजाल अकारण, यह है एवा बडा चेतक, यह जो चेतनता है जग में वह भी है मरीचिका - झाई । यह जो जीवन लहराता है वह भी है भ्रम की परछाई, नर का ज्ञान-भान है केवल वानर कर-बारवाल भयकर, देखो आज उमो के कारण फैला है प्रमाद प्रलयकर। - यौन काम इस नेतनता का चिर जड रज्जु-ब इस जग मे ? है यह विध्य कालमय, दिङ्मय, नेसन क्यो हो सो मग मे पाल नेतना में ही है ब्रह्माण्ड - विधाना, ऐग रि निर्जीव विश्य रो, पैनाना पैमा जलाहिमो TI-II, जएना गिगरी हर-हर म, गत आये, मो, पोहोन मित्र आरम' नाना? मशिाा परम