पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/२०४

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नाएगा मन में नाराम दश पाहो म पाग for RTI7 अपि-मैं अग्नी गे भी मन पर योग प्ररो, भोपितरा। ET मा मार मह. हर , ओ बना। मोना PिT मोगरा, मुह पर पाबा' र मार द्वपरर से Folो त -पर-या २ वर पा प्रथम प्रयत माना रिति प्रतिम ग्य-गरण का यह क्षण पर अब पार ग गर पे सर्वप्रथम पिचाप या, प्रति ययू में घो-हरण पा घरभक्षा पर भगर, माहर, वराया, जर मराव गेला जागो जागी । ओ वेवानर! दैत्री चिनगारिमा चमय पर, ऊँची रपटें उठी उपर पर, जगो पापी प्रचुर अतिनिधि उमदी ज्याललाल भर-भक पर, हम पिपपायी जनमक १७३