पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/२८१

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तुम अभयमय गान मेरे, विश्व विप्लव घान मेरे, क्रान्ति - दर्शी मै, सजन तुम, भगवान् मेरे। क्रान्तिमय विधान्तिमय तुम शान्तिभूय सुजान 1 पीतम आज हुलसे प्राण क्रातिमय 1 को, बाथ लो पीरस्थ रसरी में राजन इस थकित जन शिथिल यांहो को बना लो, ग्रीवमाला एक क्षण एक क्षण वह दो चुनौती, दे, युगान्तर के सृजन को अवधिहीन अशेप मे हो शेप का अवसान | पीतम आज तुमसे प्राण 1 स्वागत प्रश्न उत्तर गया गुनगुना रहे हो, पवि,? जीवन री टूटी तान। विग्मृत-घटिवामो ये सपने का मोठा-सा गान, आज गुनगुनाता हूँ अपने गत जीवन वा राम, याद नही पडते भूले स्वर, मिटे पुराने दाग । २५६ दम विपाषी बनम