पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३११

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जाने पर चला-चलाकर चयत्री स्वेद पोछते जाना, ऐ प्यारे । उन कायर असुरो की धुडको सुन सुन तु हँसना रे । प्रिय, मैं कैसे कहूँ कि तू यह सब करना फिर भी हसना, तेरा दास, बता दे, पोरी तुझे मिखाये यह फैगगा? तु ने अपने हाथ धरे मेरे इस कापित माये पर लिये हुए कालापन शुक जाऊँ तब चरणो पर क्यो कर। 'लाला, कुजी, लालटेन, जंगला, केदी, ये सब है ठीक 1' पर नौकरशाही निज सवनाश को सीच चुकी है लोक । 'चक्कर से गेटी आयेगी, 'डब्बू भर आयेगी दाल, वू शक्टार बना है-पापी नन्दवा का जोवित काल तेरी चक्की के गेहं पिस जायेगे, विश्व पोमने बालो यो तू मिट्टी में मिल जाने दे पिस जाने दे। 11 होडीन टुर ग लेने दो जरा देर - पयो छेड रह हो बेर बैर। आंखो का का नशा उतरता है झरना अब झर झर झरता है, उद्भात भार यह उमड पडा, आश्वासन मुझे अखरता है, मत समक्षाओ तुम बैर-घर, टुन रो रेने दो जरा देर 7 २०६ हम पिपाया जनम