पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३४३

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गहरे गभीर जल-तल दीपक की परछाई -स झलको मेरे हियतल में मनन्दपण वी झाई-सो पहने वह श्याम पाटल कुसुमो-स रजिता आओ मग मेष आ जा मानरा सुनसान मेरा सूने मानस-मन्दिर सस्मृति - मूर्ति - सी पवा इन तन्द्रा की घडियो पपलास्फूति - सी पवार सपने में उलझ लघुनाम - सुमग्नी सुलझा दो ऐ री दुख ह] मम जा गाठे फन्दा अँगुलिय ३12