पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३८०

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आया। छाया? यह कौमाय और बीवन का किंवा सन्धिकाल या परिणोता अमल माधुरी की है मदमाती सनि, मांग है ? या आया है कोई यहाँ क्रान्तिकारी? बोलो किसने माग भरी यह आज तुम्हारी सुकुमारी' डिस्ट्रिक्ट जेल, गाजीपुर १५ जनवरी १९३१ मेरी टूठो गाडी ढचर - चर करती जाती है मेरी टटी गाडी, जजर हुई आज मेरी रात्र नस-नस, नाडी नाडी। दौड़े चले जा रहे हैं सब अपने - अपने रथ पे, भागा-भाग मची है स्पर्धा - मिश्रित जीवन पय । धूल उड़ रही है, क्षण - क्षण में ले गद - गुब्बारे, मॅडरा रहे अवण्डर गए म गैरो न्यारे - न्यारे, घोर अशाति, क्रान्ति की क्रीडा करती है पल-पल मे, घुआँधार मच रहा विकम्पित विचलित अन्तस्तल मे, सभी सभी से आगे रहना चाह रहे इस मग मे, अजय दावलो का समह है एकत्रित इस जग मे, इस जग-पग म आन फैमा हूँ मैं भी एक अनाडी, उचर-उचर करती जाती है मेरी टटी माटो। हिस्ट्रिपट जेल, गाजीपुर ११ जनवरी १९११ 1 हम विपपापी जनमत ३५५