पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/३९६

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मोली मूरत ओ भोली मूरत, मत आओ तुम मेरे लोचन अभी नहीं विस्मरण खण्ड का कर पाया हूँ यह, पथ में । सुनो, सीख लेने दो मुलकी नव विस्मृति का पाठ जरा, जरा सुना लेने दो मुझको अपना हिवरा हरा-भरा, अपनी मुसकाती आग्यो की- शाकी तुम मत दिखलाओ, वाले, अवगुण्ठन मे रहकर तनिक भूलना सिखलाओ। मधुर मपुर फुहिया-सी रिमझिम, मत बरसाओ विमल हैसो, लह - रह कर अदुरित बनेगी मम आशा - पधारी हुलसी, झुलसी हुई पड़ी है मेरी,- खेती यो हो रहने दो, जरा रोक लो तुम अपनी यह मिति-धारा, गत बहने दो, सूया वेत, फटो वाम की बानुरिया, अब म मुदगुदाओ, दुगती है सखि, 'नवीन' को पासुरियो । . मौम्या टटी, हम विषपापा सनम क