पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४०१

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क्या ही भोलापन है, गया हो- मीठा-सा अरहरपन हृदय गुदगुदाना विनोद मे,- क्या हो नवल सुघडपन है। तुम क्या जानो कैमै मेरी- कविना मूबा हुई, चाले? तुम क्या जानो पड़ जाते है प्राणो के तुम तो इठलाती, यौवन वे- प्रागण में हो डोल रही, एक-एक पद मचालन में हिय पा सब कुछ मोल रहो। लाले मेग? मेरी, सम पूछो हा वि मुनाई- नही ता पूछ रही पी गयी च7- गहरे यी उIT रिमो मेर गीत बिग ये मृदु म पो नार पि? मुरी परी, मिाहारानी से एर, यानी, मर भी गरी या मााी सरपर गो पति र पर श PRATraमम