पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४१७

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- } I. दीवानी लगा मेरी रानी, दीवानी -ती डोल रह इन टक जोह रही उत्मण्ठित, मेरा लगन यावरी खोज रहा है मेरे न मूल रूप म मा जाओ, मत बिन्दया जग-मग जग-मग गगन हा उठे, होवे मथित हृदय का मायग, गाजर २६ दिसम्बर १९३० सिंगार मंगे आआ, मुपदका है दावा- दगण आगो सद प्रतित्रिमित मत तुगतामा ने गा म (एम $ 717 7 1 TTT