पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४५

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निज ललाट की रेख अब तक की क्या तुम न पढ सके निज ललाट की रेख? देखे इतने दर्पण, फिर भी, यांच न पाये नेक' हो, उलटे आखर पढ़ने का तुम्हे नही अभ्यास, किन्तु पढेगा अन्य कौन तब भाल-लिखित ये लेख ? ? अच्छा है कि रह अपठित ही ये विधि-अधार वाम, पढ लोगे तो भी क्या होगा? कौन सरेगा काम जो होनी है वह तो होगी, अनहोनी होगी न, यदि यह नियम अटल है तो तुम क्यों होते हो क्षाम' यदि है नियति पूर्व गति-निश्चित-चालित पूणित चक्र, तब क्या चिन्ता रहे भाग्य को रेखा ऋजु या यक। यदि है यहाँ विवशता इतनी, तो फिर,-खेल समाप्त मिले भले ही जीवन-नद मे तुम्हे मत्स्य या नक 1 1 किसने तीतर-फन्द वनायी है ये तीतर कौन ? पिंजर यह क्या है ? पिंजर के बाहर-भीतर कौन ? कीन फैमा है। फासा किसने कैरो काव? किस अर्थ' तैत्तरीय गोरज तुम हो, तो बोलो, क्यो हो मौन? सहसाब्दियाँ इन प्रश्नों को लेकर अपने अक, यो विहंसी ज्यो हुलस विहंसता शरद शशाक ममक, श्यामल दाश बाशि फी गोदी मे, औं' ये घूजटि प्रश्न,- अयुत युगो, गल्पा के हिय में खेल रहे निशफ । २२ हम विषपायी जनमक