पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४६९

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मचारी मा यामो आकारों, क्रान्ति? क्रान्ति ? माति? मेरे आँगन में मह वेगा पार बोलो तो यह किमने अपने- TT हमार धनु टयारो यह चिर परिचित स्वर छाया, रण-गेरी का यह रहो कहा से घिर क्या सचमुच ही महा प्रलय यी आधी उठ आयी क्षण में। ऐं? क्या महा क्रान्ति मतवाली भायो मेरे प्रागण में? भैरव रव, आया? कापा जग मे शान्ति जनो, आधी आयो, यह उठो ज्वाल, चौत्कार हुआ, नभू धरती मर्रायो, हाहाकार बार हुए छाती पर, मगन के- मसूये मिस्मार प्रलयकर प्रवाह में पडकर कितने 2-घर - यार शौक हो ? यदना कहा है ? मिटने का उल्लास यहा, मोह उठना, सब पाप कटा, अब रहा न जीवन नास यहाँ हम विषपापी जनम के 1 vo