पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४८५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

क्पा आशा? कैसी अभिलापा? कैमा राग? द्वेप कमा ललक लपकना यत्र-तत्र, यह शूकर - इवान-वेश कैसा' आनी आकाक्षाओ का शव क्यों लादें हम कन्धो पर? घधके क्यो न विराम - चिता अब पाव का मोह शेष कैसा' आओ मानय, भम्म रमायें, अपना यह दाव दाह करें। आओ, आज श्मशान जगायें, हिय में नवल उडाह भरें, आयो, आज मनामे होली, नम उत्सवका साज सजें, शय जलता है ? तो जलने दो ! हम क्या हिय में आह भरें? पेप्रीय कारागार, रौरी ११जनररी १९४४ विप-पान तुम मे वीन मतगर, मेमे पो यारे? पेर रहे से अपना म तुम देग ल ये प्यारे? विष्ट म पोो यागरा, भुग 7 परामा रगे, मरे, 1-मो, हाप या था, में प्यारे दार भरे। 741 म तिमापा ARRY