पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/४९४

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अपना मृदु गोपाल देखा वेडो पहने मैने अपना मृदु गोपाल, अपना मदु गोपाल, सलीना वह मन मोहन लाल । वह प्यारे मुख मण्डल बाला, वह तेजस्वी, चपल निराला, यह गोरा, वह कुछ-कुछ काला, वह अपनी धुन का मतवाला, जिसको देख उमड आती है, वत्सलता बेहाल, सलोना यह मन मोहन लाल । देखा बेडी पहने मैंने अपना मृदु गोपाल- सलोना यह मन मोहन लाल । वह इठलाता, मदु मुसकाता, खनन-खनन करता मदमाता, इधर-उधर से आता-जाता, नुपूर के स्वन को शरमाता, पुलिग वेडिमा शनकाता वह चलता मादक चाल, सलोना यह मन मोहन लाल । देखा वेडी पहने मैने अपना मृदु गोपाल, मलौना वह मन मोहन लाल । डिस्टिक्ट जेल, फैशावाद १ नवम्बर १९३२ हम विषपापी जनम के ५६३