पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५३९

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वोलो, का मेधाच्छन्न अति प्रसर तुम्हारा यह दिनकर लहराती है जग में सच्चिदानन्द मय ज्योति - लहर। पवन, हो तुम्ही आदि भैरव गायक, हो तुम्ही भैरवी को उठान, गुजे वे तब अम्बर मे ही उन प्रयम द्विजो के अरण गान, तव नभ में ही सो डोला था वह सब प्रथम जागरण- हा, तुम्ही कर चुके हो सबसे पहले यह अनहद नाद श्रवण, अब भी तब नभ मे होती है जागृति के पयो को फर - फर। लहराती है तब अम्बर में, अब भी अतीत की ज्योति - लहर, पावर प्रयमासब-प्रसाद है विश्व आज भी मतवाला, आनद जगत् ग जो है, वह 1 जो तुमने दाला है वह मधु मत भूगे कि तुम प्रणेता हो जग में ऐसे आदशों के, जिनको न धुण्ण कर पाये हैं आपात अयुत गयों हम पिपायी जनम