पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५४२

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आशाओ के तुम हो प्रकेत, सघपों के तुम चिर - निकेत, तुम महानाश के अग्रदुत, नित निर्माणो के तुम निधान, ओ तुम मेरे प्यारे जवान । तुम महाविकट सहार रूप, तुम सृजन कुशल नव-नय अनूप, तुम सदा असुन्दर के पैरी, चिर सुन्दर के तुम यशोगान, ओ तुम मेरे प्यारे जवान तुम रुद्र-रूप, तुम प्रलपकर, तुम मदन - दहनकारी शकर, तुम दृढ प्रतिज्ञ, तुम अडिग धोर, सुम चिर अधिज्य धन्वा महान्, जो तुम मेरे प्यारे जवान । तुम काल-प्रभजन परम प्रगल, तुम जीवन - मलयानिल निर्मल, तुम पुण्य कर्म-रति अति निरलस, मधु स्वप्नो के तुम सुररा खान, ओ तुम मेरे प्यारे जवान । आदर्श - पुज तुम अति प्रचण्ड, तुम मूर्तिमन्न हट न्याय-दण्ड, तुम साम्य सन्तुलन-भाव अडिग, तुम नवल कल्पना की उडान, ओ तुम मेरे प्यारे जवान । हम विषपाी जनम के ५.९