पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५४७

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ऐसा क्या हमें अधिकार क्या हमे अधिकार ऐसा गया हमे अधिकार? कि हम दरमाते रहे निज अचिर हृदय-विकार' ऐसा क्या हमे अधिकार ? क्यो जगद को हम सुनावें विकृत अपनी तान ? यो सदा गाते रहे हम दुख दरद के गान? वयो न जागे आज हममे मानवी अभिमान ? हम करें चित्रित दिवम निशि क्यो हृदय-अविचार ? ऐसा क्यो हमे अधिकार ? आज मानवता हुई है विरुष्ट विपदा-रस्त, आज गानच हो रहा है भीति से सस्त, आज मस्कृति सूप, देखो, हो रहा है मस्त, पयो करें ऐसे समय हम देग्य का विस्तार ऐसा क्या हमे अधिकार आज, आओ, हम गरें भय-हरण रण-दुवार, गूंज उ? आज चहुँ दिदि जागरण-दुपार, जग मुने अर मुप्त कालो नाग यी फुयार, आज जग देखें कि हम है पवित ये आगार, हम है चिर विजय-आधार । केन्द्रीय कारागार परेती १८ गन १९४१ म रिपपाया गय