पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/५६०

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सैनिक, बोला संगिक, बोल, रगो मे तेये, शाणित है या ठण्डा पानी? बतला, तेरे जीवन में है एज बुढोती शकि जवानी? यदि तेरी नस - नस में बहती वेगवतो शोणित की धाग, राख हुआ है नहीं अभी यदि, तेरे यौवन का अगारा- तो यो शोक नयनो रो यह निपट निराशा? तू क्या है उदास निज मन में यया मुरझी है तेरी आशा M 7 निकला था तू जब पि जूझने धारण कर सैनिक या बाना,- जन कि बज उठा था रण- घोसा, जर गुंजा था युद्ध - तराना- तर वया तुराग रहा गया था मिन हो तेरे मग म? का की यह मात नरी था किर अगणित माग ? बम विचामा रकम ५२५