पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६०६

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तुम आये हंस - मुराफाते - से, मेरे रहस्य, उदार, हरते अपने पद -जावक-से मेरी निशिका धन अन्धकार, मेरी प्राची हुलसी - विलमी, मेरे अन्सर मे उठा ज्वार, आसुओ और अरमानो मे मच गयो रार, बह चली बार, मेरे जीवन का वह निशान्त, भर गया हृदय में इक उफान, आधण्ठ भरा है करण आज, है मेरे प्रियतम सुरसखान । मेरी भाव विहंग गा उठे ललित स्वागत-गायन जब मधुर-मधुर, धीमे धीमे, तुग आये मनहर, करुणायन, गूंजो विभास को स्वर लहरी चरणामरणो की रन-कुन से, मम मन-गगनागन स-रे-य-ग-प-ध नि-स को मुनगुन से, तन चरणापण हो गये गान, तव परणापण हो गये प्राण, तब चरणार्पण मम निरत प्यान, चरणापण मेरा दिवस मान । मगन हुआ हम विषपायी जनमक ५०