पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६५५

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2 क्या है यह अन्धकार? गया है यह अन्धकार ? भूलभुलेया मै मन गयो उलझे बार-बार क्या है यह अन्धकार । वे प्रकाश किरण जिहे नयन ग्रहण कर न सो,. वे किरणे जिनको दृग-अजलियां भर न सके - जिनको दृग कनौनिका किसी तरह घर न सके, उस किरणों का समूह बना अवकार - भार, क्या है यह अन्धकार जीवन का उजियाला और चमकने को जब, योमा हो जाता है और दमकने को जब, तब उसको कहते हैं अन्धकार जग-जन सर्व, तभी सभी कहते हैं उसे गुस्सु का प्रमार, पया है यह अन्धकार ? देखो तो मेरे मन, यहा कहा तिमिर अन्ध ? देखो तो यहा कहा हरण - करण मरण - बन्ध? प्राण-हरण लीला है जीवन उत्क्रमण - सन्ध, रस्त्र रोमो का आज रहा यो पुकार, क्या है यह अन्धकार ? मृत्यु की मृदा की बनी वजी, जलगी थाप, मृत्यु - नृत्य - पद - तल मे जीवन की ललित छाप, परदे मे यया न सुनी जीवन को चरण - मृत्यु - पटल - अन्तर मे चलित जीवनाभितार, क्या है यह अन्धकार ? ननी जेल ३याम्त १९४१ चाप ? इम पियपामी जनम के