पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/६५६

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कैसा मरण सैदेसा आया? ? कैमा मरण-संदेसा आया? किसके कण्ठाभरण स्वरी ने लय सगीत सुनाया कैसा मरण-संदेसा आया? देह यकी, जजरित हो गयो, घिगड गया कुछ सटका, गजा शून्य शरीर हो गया, लगा मृत्यु का झटका, देव लुप्त होते जीवन को मन सम्ध्रम मे अट्या जीवन का रहस्य यह क्या है ? क्या यह मृगय माया ? कैसा मरण सेंदमा आया, दी विभिन्न मतियाजगतो मैं इक जडमय, इक वेतन, जगति है धूणित आन्दोलन, चेतन है उद्वेलन, जब जडकण-समूह वन बाया चेतन का मुनिकेतन, तव उसमें विकास गति आयी जड़ ने जीवन पाया, अभिनव मरण-संदिसा आमा जिन ने मर कर चिर जीवन का चिर रूप पहचाना, जिन ने निज को साने ही मे शुचि निजत्व की जाना,- ये बोले कि मरण है जीयन का ही एक बहान्ग, अभिनय मरण-मैदमा आया? जीवन का अखण्ड वैश्वानर हहर-हहर कर नमका, भय मागा, सन्देह हट गया, छूटा सशय तम ना, अपने 'स्व' को 'स्वधा' राम होमा, टूटा फन्दा समका, अपने मन की हुई मृत्यु, सम चिर जीवन लहराया, नव-ना गरण-संदेसा आया। बम विषपायी जनग के