पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

वह अत तक विषपायी ही रहे। सुधापानके छलाबने मत तक उहें मोह ग्रस्त नहीं किया यी शुलयुक्त, यो बहि आहिंगित जीवन इस प्रस्तुत सकलनको एक मात्म परक रचना है । नवीनशीने मद्यपि सन १९१७ स नियमित लेखन प्रारम्भ कर दिया था, उनका पहला कविता संग्रह 'कुकूम' सन् १९३६ में प्रकाशित हुआ, पितु कवि स्पम नवौनजीको रयाति प्रतिक्षित हो चुकी थी। राष्ट्रीय वा दोलनके तूफानी दिनामें माथा ऊँचा रक, सोना छानवर, मुहिया घाँधकर नवयुवक गाया करते थे

  • रि कुछ सो तान सुनाओ, जिससे उयल पुथल मच गाय

एक हिलोर उभर से आये, हिलोर इधर से वाय ओर, जज असहयोग आ दोलनको अचानक समाप्त कर दिया गया, तब मलिदानियाने माहत अभिमानको और राष्ट्रको हताश, सिर घुनती लोको नामजीन वाणी दी आज खड्ग को धार कुण्ठिमा, ह वाला सूणीर हुमा! १९६६ क बाद, सन १९५१ में नदीनाकै दो कविता ग्रह राशित हुए 'रशि रेखा' तथा 'अपस्क: १९५२ में 'बासि', १९५५ में "विनोरा स्तवन' और १९५७ में मिला सण्ड फायक प्रमान बाद काई नया संग्रह प्रकाशित नही हो पाया। उनत छह सग्रीम, कुपुम चवासि बारवी रनमामाका समय १९३६ से १९५२ तस्या है। प्रस्तुय सफ्लन, 'हम विषपायो जनम मैं नवीनजीकी ये रचनाएँ सम्मिलित है जा सह रूपगें अप्रकाशित २ मा फूकुम क्यासि 10 बाकी सवथा नयी रचनाएँ है। मह सकलन कपि नवीनका सांगीण प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करता है। गबोनमीको जब पक्षपात हो गया तो उनकी बीमारीके दिनोम साहूको (श्री कातिप्रसाद जैन ) बई बार उनसे मिलने गये । एक बार जब म मी साय या, सोमनोनजीम गोता और सायास निमित दा भारताय पानपोटो प्रभावानाकी सराहना की बागौद दिया। तभी थाममा राजीने बताया कि योननोन बीमारी विनाम अपनी अप्र मानित रवितानाने माह और गरमा काम प्रारम्भ मियाह और बम विषपापी जनम