पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/८१

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हम बम के गन-पिस्तौलो के वाहका है, सचालक भी है, हम हिंसक विप्लवकारी है, हम जनगण प्रतिपालवा भी है। हम क्यो हैं हिंसा-विश्वासी ? क्या हम हैं सूख्वार जानवर ? हम क्यो असि-वारण करके यो चले खेलने आज प्राण पर? हम क्यो है, घुटनो-घुटनो तक, लोहू की नदियो मे तैरे? क्यो? हमने शोणित का यो यह तिलक सांझ सवेरे? क्या हम खूनी हैं ऐ शिक्षक, मुंह न चिढाओ आज हमारा ? हैं उपदेश तुम्हारे कोरे, हमने भी है तत्य विचारा। लगाया का_____________& जग के अनाचार मशा है यदि यही कि खून बहे नित, तो हम यहते हैं हमम है रक्त गाव सामथ्य अपरिमित, हमै नहीं परवाह जरा भी, हम भी है तैयार सुसज्जित, है घुव चरण हमारे सन्तत्त, ह्मि में है विश्वास अनिगित, हम रिएपायी जनम