पृष्ठ:हम विषपायी जनम के.pdf/९

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रचनाएँ परेली पारागृहयी लिखी हुई है। विषयी दृष्टिस सग्रहमै शृगार तो है ही, इसके अतिरिक्त माध्यात्मियता, दादानिपता, प्राथना तया मनुहार भावकी भी संगत अभिव्यक्ति है। तीसरे राग्रह, 'योवन मदिरा' को वयिने एक और दोपण पावस- पोहा भी दिया है । दोना शीपर दो पविताआ है जो सग्रहनी प्रमुख रचनाएँ ह। यौवन मदिरा' में प्रयत्ति निवृत्तिका समय निरूपित ह और 'पावस पौडम प्रणयी प्रधानताका स्वर सुखरित हुआ है। सनहसा रचना काल १९३०-१९३६ है और अधिवात रचनाएं गाजीपुर जेलकी लिखी हुई है। कृतिम लघु प्रेम वविता सारित की गयी है। प्रेम सयोग तथा विषाग दानोक चित्र प्रान हाते है, पर प्रधानता विप्रलम्भ शुभारणी है। 'प्रलवकर' शीपक पौधे सग्रहका नाग 'तू विद्राह रूप प्रलयकार' कवितारो आया है जो अत्यत ओजस्वी रचना है। संग्रहका लेखनवाल १९३० १९५५ ह और रमाएँ अधिकतर बरेली कारागृहकी लिश्री हुई है। पाण्डुलिपिने इरा खण्डप कतिपय कविताए नविकी हस्तलिपि ही उपलब्ध है। नवीनजीको राष्ट्रीय वितामाके इस सवलनमें कविका आक्रोश, हकार, ओज तथा विप्लव आह्वान मुखरित है। राष्ट्रवी पगोन चेतनाको सर्वाधिक प्रखर वाणी इमो सग्रहको रचनाभा-द्वारा मिली है। 'स्मरण दोष नवीननीना पांचवा प्रकाशित काय साह ह जिसका नामकरण मेरे स्मरण दोप को याता' शीपक कवितापर आधारित है। यग्रहका रचना दाल १९३८ १९५४ है और इसमे घरेली कारागृहमे लिखित कविसाआ आधिकाराकलनम वियोगावस्थास उदभूत अनु भूतिपाको प्रधानता है विप्रलम्भ शृगार सयतामुक्षी चित्र उतारे गम ह और मनुहार प्रतीक्षा वाणी मिली है। यतिम नयह 'मृत्यू पाग' को कमिने दूसरा शोक सूजन साश' भी दिया हत दोनो पन मूत्रमें राग्रहनी दो नवितामा 'पसा ह मृत्यू पाम' और सृजन की साक्ष है। साहका रचना गाड १९४१ १९४२ ह और प्रमूभ्यत ये रचनाएं नैनी जेल में ही लिखी गयी 1 वास्तव में यह सकलन पनि प्राणापण' गीपक अयकातिल बघटना या पचम आहुति' क गीतास सम्बध रखता ह जिसे यहाँ गृथक संग्रहके रूपमे दिया गया है। य गोत सभी रहस्य परब और दानिक है जिनमें मृत्युको काम्पका दम विषवायो जमम क ६